Tanhaji: The Unsung Warrior Review: फिर दिखी भारतीय इतिहास की भुला दी गई गौरवगाथा

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Tanhaji: The Unsung Warrior Review: फिर दिखी भारतीय इतिहास की भुला दी गई गौरवगाथा

फिल्म: Tanhaji: The Unsung Warrior

कलाकार: Ajay Devgn, Kajol, Saif Ali Khan, Neha Sharma,

निर्देशक: Om Raut

रेटिंग: ****

अजय देवगन, सैफ अली खान, काजोल और शरद केलकर जैसे सितारों से सजी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि कि फिल्म 'तानाजी: द अनसंग वॉरियर' आज रिलीज हो गई हैं। इस फिल्म को ज्यादातर लोगों की तारीफ मिल रही है। आइये जानते हैं आखिर ये फिल्म कैसी है!

'तानाजी: द अनसंग वारियर' महान भारतीय वीर योद्धा तानाजी की कहानी दिखाती है, जिन्होंने स्वराज के सपने को पूरा करने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी और अपना सर्वोच्च बलिदान भी दिया। फिल्म की कहानी 4 फरवरी 1670 में हुए कोणढाना (वर्तमान नाम सिंहगढ़) युद्ध पर केंद्रित है। यह युद्ध छत्रपति शिवाजी महाराज के आदेश पर उनके सेनापति तानाजी और मराठा योद्धाओं ने औरंगजेब के खास उदयभान राठौड़ के विरूद्ध लड़ी थी।

फिल्म में तानाजी के किरदार में अजय देवगन जबरदस्त लगे हैं। उन्होंने एक शातिर और निष्ठावान योद्धा का किरदार बखूबी निभाया है जो अपने देश और शिवाजी महाराज के लिए कुछ भी कर सकता है। अजय के साथ फिल्म में काजोल ने सावित्री बाई के किरदार में नजर आई हैं जो तानाजी की पत्नी हैं। हालांकि काजोल का अभिनय ठीक ठाक ही कहा जाएगा पर अजय और काजोल को एक साथ देखना अच्छा लगता है।

बात करें फिल्म के मुख्य विलेन सैफ अली खान की तो उन्होंने अपने किरदार को अपनी दमदार परफॉरमेंस से जिवंत कर दिया है और कई सीन में वो अजय देवगन को अच्छी टक्कर दे नजर आये हैं। जब स्क्रीन पर सैफ आते हैं तो उनके अलावा कोई नजर नहीं आता है। उन्होंने उदयभान राठौड़ के किरदार को खूंखार और बर्बर बना कर इसमें जान भर दी है।

फिल्म में शरद केलकर शिवाजी महाराज के किरदार में खूब जमे हैं। उनकी रोबदार आवाज़ उन्हें महाराज के किरदार के लिए बिलकुल फिट बनाती है। शरद के अलावा फिल्म में ल्यूक केनी ने औरंगजेब, पद्मावती राव ने जीजा बाई, देवदत्ता नागे ने सूर्याजी मालुसरे, नेहा शर्मा ने कमल के किरदारों में अच्छा काम किया है।

फिल्म के निर्देशक ओम राउत का जादू दर्शकों के सिर चढ़कर बोलेगा। उनका काम अच्छा है, निर्देशन और सम्पादन दोनों बहुत ही अच्छी है। फिल्म ऐतिहासिक है पर ज्यादा लम्बी नहीं है जिससे यह दर्शकों के लिए बोझिल साबित नहीं होती है। हाँ पहले हाफ में किरदारों को स्थापित करने में फिल्म थोड़ी स्लो जरूर होती है पर सेकेंड हाफ में कहानी अपने उरूज पर पहुँच जाती है और दर्शकों को अपनी सीट से हिलने तक का मौक़ा नहीं देती है।

फिल्म के दृश्यों में जानवरों का इस्तेमाल नहीं किया गया है। पर युद्ध सीन में जानवरों को दिखाने के लिए VFX का खूब सारा काम किया गया है। ये काम कहीं कहीं थोड़ा अटपटा भी लगता है पर ओवरऑल यह अच्छा ही कहलायेगा।

आप अगर इस वीकेंड पर अपने देश और अपने इतिहास के भुला दिए गए एक योद्धा के बारे में जानना चाहते हैं तो यह फिल्म आपके लिए सबसे बेहतर विकल्प है। इस फिल्म को हम देते है 4 स्टार।