मूवी: छपाक

कलाकार: दीपिका पादुकोण, विक्रांत मैसी, मधुरजीत, अंकित बिष्ट

निर्देशक: मेघना गुलजार

रेटिंग: ***

वो ज़माना गया जब रियल स्टोरीइज पर फिल्मे बनाने से फिल्ममेकर्स डरते थे। अब कई वास्तविक घटनाओं पर फिल्म बन रही है और ये फ़िल्में ना सिर्फ आलोचकों को पसंद आ रही है बल्कि बॉक्स ऑफिस पर भी अच्छा बिजनेस कर रही हैं। कल एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण की एक ऐसी ही फिल्म छपाक ने बॉक्स ऑफिस पर दस्तक दी जिसमे एसिड अटैक पीड़िता लक्ष्मी की कहानी को दर्शको के समझ परोसा गया है।

फिल्म को निर्देशित किया है तलवार और राजी जैसी फिल्मों से अपना लोहा मनवा चुकी मेघना गुलजार ने। हालांकि फिल्म की लीड एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण के JNU के लेफ्ट विचारधारा वाले छात्रों के साथ खड़े होने वाले पोलिटिकल स्टंट के कारण फिल्म को निगेटिव प्रोमोशन खूब मिली है लेकिन इसके बाद भी इस फिल्म के साथ हुई ईमानदार कोशिशों को नकारा नहीं जा सकता है।

फिल्म की कहानी आपनो इमोशनल करती है और बहुत बार सोचने पर मजबूर करती है की क्या हम जिस समाज में रहते हैं उस में ऐसे एसिड अटैक करने वाले शख्स के लिए जगह होनी चाहिए! फिल्म के कई डायलॉग जहाँ दिल को छूटे हैं वहीं हमारे समाज पर कटाक्ष भी करते हैं। फिल्म के मुख्य चरित्र मालती के संघर्ष की कहानी देखकर आप कई बार मालती के दर्द को महसूस करेंगे।

दीपिका पादुकोण एक खूबसूरत अभिनेत्री हैं और उनके द्वारा इस बदशक्ल हो जाने वाले चरित्र को निभाने के लिए हामी भरना सराहना योग्य कदम है। उनका अभिनय फिल्म को अच्छी गति प्रदान करता है। छपाक दीपिका पादुकोण के करियर की वो फिल्म हो सकती है जिसमे अपने अभिनय पर वो फक्र कर सकती है।

बहरहाल दीपिका के अलावा इस फिल्म में अपना असर छोड़ा है विक्रांत मैसी ने। इस फिल्म में विक्रांत मालती के किरदार के साथ हर कदम पर नजर आते हैं। फिल्म में बाकी कलाकार नए चेहरे हैं, कुछ वास्तविक तेजाब हमले की पीड़िताओं ने भी इसमें कमाल का अभिनय किया है।

फिल्म की कंट्रोवर्सीज को अगर अलग रख कर देखने तो फिल्म को बेहतरीन ही कहा जाएगा।  पर आज के जमाने में फिल्म के व्यापार में फिल्म के निर्माण बजट से ज्यादा प्रोमोशन पर खर्च किया जाता है और प्रोमोशन में PR एजेंसियां कुछ भी करवाने से गुरेज नहीं करती हैं। इस बार अगर दीपिका की PR एजेंसी ने JNU प्रोटेस्ट को प्रोमोशन के तौर पर इस्तेमाल किया है तो दीपिका को आगे के लिए किसी दूसरे PR एजेंसी को ढूंढ लेना चाहिए। ऐसी फिल्मों के लिए नकारात्मक प्रचार से कंट्रोवर्सी खड़ा करवाना एक गलत निर्णय ही कहा जाएगा।