Saand Ki Aankh Film Review: दिल को छू जाएगी दो शूटर दादियों की ये कहानी

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Dipssy Ranzz
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Saand Ki Aankh Film Review: दिल को छू जाएगी दो शूटर दादियों की ये कहानी

फिल्म: Saand Ki Aankh

एक्टर: तापसी पन्नू, भूमी पेडनेकर

रेटिंग: 3.5 / 5 स्टार

सांड की आंख फिल्म में भारत की सबसे उम्रदराज शार्पशूटर्स चंद्रो तोमर और प्रकाशी तोमर की कहानी बदलते समय के साथ नारी सशक्तिकरण को पेश करती है। इस फिल्म के एक सीन में कोच हस कर उत्साहवश सवाल करता है- तुम दोनों दादियां क्या खाती हो कि इतना पक्का निशाना लगता है? इस पर गंभीरता के साथ प्रकाशी जवाब देती है ‘गाली’। प्रकाशी का जवाब कोच के साथ साथ दर्शकों को भी पसंद आता  है।

इस कहानी में एक ओर जहां महिलाओं की स्थिति बताई गई है वहीं दूसरी तरफ सपनों के उड़ान की अहमियत भी दिखाई गई है। इस फिल्म में ''तन बुड्ढा होता है, मन बुड्ढा नहीं होता'', हाथों में बंदूक थामे जब चंद्रो तोमर यह संवाद करती है तो संवेदनाओं के साथ मन में एक सम्मान भी दिखाई देता है।

चंद्रो (भूमि पेडनेकर) बागपत के तोमर खानदान में ब्याही गईं और प्रकाशी (तापसी पन्नू) परिवार के पितृसत्तात्मक रवैये में ढ़ल जाती हैं। उनका जीवन खेतों में काम करते, खाना बनाते और बच्चे पालन करते गुजर रहा है। घर की स्त्रियों ने एक खास रंग का घूंघट बांट रखा है, जिससे मर्द को अपनी पत्नी पहचानने में परेशानी ना हो। एक सदैव लाल घूंघट में रहती है, तो एक पीली और एक नीली.. और यही घूंघट उनकी पहचान होता है। चंद्रो और प्रकाशी यह नहीं चाहतीं कि उनकी बेटियों को आगे चलकर ऐसी ही जिंदगी गुजारनी पड़े। इसलिए जीवन में कभी घूंघट भी ना उठाने वाली यह दादियां, 60 साल की उम्र में हाथों में बंदूक उठा लेती हैं ताकि उनकी बेटी और पोतियां इससे प्रेरणा ले सकें।

गांव में ही डॉक्टर से निशानेबाज़ी के कोच बने यशपाल (विनीत कुमार सिंह) की सहायता से इनकी ट्रेनिंग होने लगती है। पहले दिन ही कोच को यह अहसास हो जाता है कि दोनों दादियों में गजब का टैलेंट है और दादियों को निशानेबाजी से खुशी मिलती है। इतना ही नही यह उनके गुस्सा और जज्बात निकालने का भी एक जरिया बन जाता है।

प्रकाशी और चंद्रो मेडल पर मेडल जीतती चली जाती हैं। साथ ही बेटियों को भी आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करती हैं। प्रकाशी की बेटी का चयन अंतर्राष्ट्रीय स्तर के लिए हो जाता है। इन सब बातों से तोमर खानदान के पुरूष अंजान रहते हैं। 'सांड की आंख' में दोनों दादी और उनकी बेटियां किस संघर्ष के साथ अपने सफलता और सम्मान की कहानी गढ़ती हैं यह दर्शाया गया है।

यह फिल्म हर क्षेत्र में बेहतरीन बन पड़ी है। अच्छी सिनेमा देखने के शौकीनों के लिए एक मस्त वाच है।