कैंसर से लड़ते हुए कोच ने दिलाया था गोल्ड मैडल, अब अजय देवगन बनाएंगे उन पर फिल्म

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कैंसर से लड़ते हुए कोच ने दिलाया था गोल्ड मैडल, अब अजय देवगन बनाएंगे उन पर फिल्म

सिनेमा जगत में आजकल बायोपिक फिल्मों पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है। ऐसे ही बायोपिक फिल्म के लिए अजय देवगन की एक फिल्म 2018 जुलाई में अनाउंस हुई थी लेकिन उस समय फिल्म का नाम नहीं बताया गया था। अब इस फिल्म के नाम और पोस्टर दोनों ही अनाउंस हो गए है। इस फिल्म का नाम है ‘मैदान’ और यह फिल्म इंडिया के सबसे सफल फुटबॉल कोच सैय्यद अब्दुल रहीम की लाइफ पर आधारित है।

बता दें की इस फिल्म में अजय कोच सैय्यद अब्दुल रहीम की भूमिका अदा कर रहे हैं और उनकी पत्नी का रोल साउथ एक्ट्रेस कीर्ति सुरेश निभा रही है। कीर्ति की बात की जाए तो इस साल तमिल-तेलुगू फिल्म ‘महानती’ के लिए उन्हें बेस्ट एक्ट्रेस का नेशनल अवॉर्ड मिला है और  ‘मैदान’ उनकी पहली हिंदी फिल्म रहेगी। फिल्म मैदान को अमित शर्मा डायरेक्ट करेंगे।

चलिए आपको बताते है कि यह सैय्यद अब्दुल रहीम नाम का व्यक्ति आखिर कौन है जिसपर बायोपिक फिल्म बनाई जा रही है। सैय्यद अब्दुल रहीम फुटबॉल कोचिंग का ध्यानचंद कहा जा सकता है क्योंकि वे अपने ऐटिटूड के लिए जाने जाते थे। इनका जन्म 17 अगस्त, 1909 को हैदराबाद में हुआ था और वह पेशे से टीचर थे। परन्तु उनके अंदर लोगों की मोटिवेट करने की गज़ब की क्षमता थी।  उनकी इसी क्षमता को देखते हुए उन्हें 1943 में हैदराबाद सिटी पुलिस की फुटबॉल टीम का कोच और सेक्रेटरी बना दिया गया।

इसके बाद टीम की परफॉर्मेंस में साफ साफ फर्क नज़र दिखने लगा। सैय्यद अब्दुल रहीम के चलते लगातार हैदराबाद टीम ने पांच रोवर्स कप भी जीते। इसके अतिरिक्त पांच बार डुरंड कप के फाइनल तक भी पहुंची जिसमें तीन बार विजेता रही। हैदराबाद सिटी पुलिस कुछ ही दिनों में देश की सबसे धाकड़ फुटबॉल टीम बन कर उभरी। जब 6-7 साल हो गए तो ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन की नजर उनपर पड़ी। इसके बाद 1950 में सैय्यद अब्दुल रहीम इंडियन फुटबॉल टीम के कोच और मैनेजर नियुक्त हुए। पहला एशियन गेम्स 1951 में दिल्ली में खेला गया। इंडियन फुटबॉल टीम ने इसमें गोल्ड मेडल जीता।

परन्तु अगले साल हेल्सिन्की में खेले गए ओलंपिक में भारत को हार का मुंह देखना पड़ा क्योंकि उस समय इंडियन टीम नंगे पांव खेल खेलती थी जिस कारण फिनलैंड के ठंडे मौसम में टीम की हालत ख़राब हो गई। इसके बाद से रहीम ने निर्णय लिया कि अब से टीम जूते पहनकर ही मैदान में उतरेगी।

फिर 1956 में मेलबर्न ओलंपिक शुरू हुआ इंडिया ने क्वॉर्टर फाइनल तक में ही सबका ध्यान अपनी ओर खींचना शुरू कर दिया।  इंडिया ने इस नॉक आउट मैच में ऑस्ट्रेलिया को हरा दिया और वह सेमी-फाइनल में पहुंच गई। लेकिन टीम सेमी-फाइनल में यूगोस्लाविया से हारकर टूर्नामेंट से बाहर हो गई। परन्तु यह भारत के अब तक का फुटबॉल इतिहास का सबसे बड़ा अचीवमेंट रहा। मेलबर्न ओलंपिक के कुछ ही समय के बाद से रहीम की तबीयत खराब होने लगी और कुछ समय बाद पता  चला कि उन्हें लंग कैंसर है। इसके बाद भी रहीम ने हार नहीं मानी और टीम को गाइड करते रहे जिसके चलते इंडिया ने दूसरी बार एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीता। रहीम ने 11 जून, 1963 को दुनिया से विदा ले लिया।